नीलम संजीव रेड्डी पर निबंध Essay on Neelam Sanjiva Reddy in Hindi

आज हम नीलम संजीव रेड्डी पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Neelam Sanjiva Reddy in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।

Essay on Neelam Sanjiva Reddy in Hindi

नीलम संजीव रेड्डी पर निबंध Essay on Neelam Sanjiva Reddy in Hindi

नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में एक कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम नीलम चिनप्पा रेड्डी था। वे एक कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नेता थे। नीलम संजीव रेड्डी की प्रारंभिक शिक्षा थियोसोफिकल हाई स्कूल, मद्रास में हुई थी। इन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई आर्ट्स कॉलेज, अनंतपुर में की।

जब उन लाखों युवाओं की तरह, इन्होंने महात्मा गांधी से प्रभावित होकर पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी थी और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए, तब संजीव रेड्डी की आयु सिर्फ 18 वर्ष की थी। इस दौरान इन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। इतना ही नहीं, इन्होंने महात्मा गांधी से प्रभावित होकर सत्याग्रह आंदोलन में भी सक्रिय भाग लिया।

इन्होंने कांग्रेस के सदस्य के रूप में राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था। संजीव रेड्डी आंध्र प्रदेश के कांग्रेस समिति के सामान्य सचिव चुने गए। इन्होंने इस पद पर 10 वर्ष कार्य किया। इन्होंने कांग्रेस पार्टी की तीन सत्रों तक अध्यक्षता की तथा 12 मार्च, 1956 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। ये एक अनुभवी नेता होने के साथ-साथ एक अच्छे कवि और प्रशासक भी थे। ये पक्के राष्ट्रवादी थे।

1971 में नीलम संजीव रेड्डी को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिससे इन्हें गहरा धक्का लगा। जनवरी, 1977 में यह जनता पार्टी की कार्य समिति के सदस्य बने। 26 मार्च, 1977 को इन्हें सर्वसम्मति से स्पीकर चुन लिया गया। लेकिन 13 जुलाई, 1977 को इन्होंने अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया, क्योंकि इन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किया गया था। इन्हें सर्वसम्मति से निर्विरोध आठवां राष्ट्रपति चुना गया था। ये भारत के पहले गैर कांग्रेसी राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति पद पर 14 वर्ष सफलतापूर्वक कार्य करने के बाद इनका 1 जून, 1996 में निधन हो गया।


Share on:

Leave a Comment