बाल गंगाधर तिलक हिंदी निबंध Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi

आज हम बाल गंगाधर तिलक हिंदी निबंध पढ़ेंगे। आप Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।

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Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi

बाल गंगाधर तिलक हिंदी निबंध Bal Gangadhar Tilak Essay in Hindi

बालगंगाधर तिलक भारत के एक महान नेता तथा राजनीतिज्ञ थे। इनका जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरि जिले के गांव चिखली (चिक्कन) में हुआ था। इनकी शिक्षा पूना के दक्खन कॉलेज में हुई थी। इन्होंने वकालत की उपाधि भी प्राप्त की, किंतु इस व्यवसाय में हाथ नहीं डाला। इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश-सेवा के लिए अर्पित कर दिया।

सर्वप्रथम इन्होंने एक स्कूल स्थापित किया और उसमें स्वयं अध्यापक हो गए। इन्होंने ‘केसरी’ और मराठी में ‘मराठा दर्पण’ नामक दो समाचार-पत्रों का संपादन किया। इन समाचार-पत्रों के माध्यम से इन्होंने लोगों में राष्ट्रीय जागृति पैदा की। देश को स्वतंत्र कराने के लिए इन्होंने अनेक कार्य किए। ब्रिटिश सरकार ने समझा कि ये लोगों को हिंसात्मक कार्यों के लिए उकसाते हैं, इसलिए उन्हें छह वर्ष के लिए बर्मा प्रदेश के मांडले नगर में निर्वासित कर दिया गया।

जेल में रहकर इन्होंने हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता पर टीका लिखी-कर्मयोग रहस्य। विद्वानों ने इसकी अत्यधिक प्रशंसा की। इसे पढ़कर लगता है कि इनकी हिंदू-धर्म ग्रंथों पर कितनी गहरी पकड़ थी।

बालगंगाधर तिलक पहले भारतीय नेता थे जिन्होंने यह नारा दिया-‘स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। मैं इसे लेकर रहूंगा।’ तिलक संस्कृत और गणित के प्रकांड पंडित थे। लोग इन्हें आदर से ‘लोकमान्य’ के नाम से पुकार कर सम्मानित करते थे। इन्हें हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। लोकमान्य तिलक ने जनजागृति के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव’ तथा ‘शिवाजी उत्सव’ सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और ब्रिटिश सरकार के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा। तिलक अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए जाने जाते थे। भारत के ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानी का निधन 1 अगस्त, 1920 को मुंबई में हुआ था।


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