आज हम भगवान महावीर हिंदी निबंध पढ़ेंगे। आप Bhagwan Mahavir Essay in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
भगवान महावीर हिंदी निबंध Bhagwan Mahavir Essay in Hindi
जैनियों के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र | शुक्ल त्रयोदशी को 543 वर्ष विक्रम पूर्व वैशाली गणतंत्र के लिच्छिवी वंश के महाराज श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशला देवी के यहां हुआ था। समूचे विश्व में रहने वाले जैन मतावलंबी महावीर जयंती को बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
जिस समय भगवान महावीर का जन्म हुआ, उस समय भारत अंधविश्वासों के अंधकार में डूबने लगा था। पशु बलि और हिंसा का प्रचलन बढ़ रहा था। परस्पर सहयोग और सौहार्द का स्थान ईर्ष्या और द्वेष ने ले लिया था। समन्वय की संस्कृति जातिवाद और वर्ण विभाजन के शिकंजे में कस रही थी। समाज धर्म पुस्तकों में सिमट कर रह गया था। धन लिप्सा और भौतिक भोग-विलास के समक्ष त्याग और अपरिग्रह बौने हो गए थे। ऐसे अंधकारमय समय में क्षितिज पर अहिंसा, सत्य, त्याग और दया की जो किरणें भगवान महावीर के जन्म के फलस्वरूप फूटीं उन्होंने समाज के समस्त अंधकार को नष्ट कर सभ्यता और संस्कृति के सूर्य की रक्षा की। ऐसे अंधकार से प्रकाश की ओर लाने वाले महापुरुष का निरंतर स्मरण करने वाले जैन मतावलंबी भारत ही नहीं विश्व के कोने-कोने में हैं।
भगवान महावीर के जन्म-स्थल को लेकर विद्वानों में भले ही मतभेद हो, परंतु इतना निश्चित है कि जब वे भारत में अवतरित होकर जन कल्याण में प्रवृत्त हुए उस समय ईराक में जरथुस्त्र, फिलिस्तीन में जिरेमिया और ईराजकिल, चीन में कन्फ्यूशियस और लाओत्से तथा यूनान में पाइथागोरस, सुकरात और प्लेटो जैसे चिंतकों के विचार जन-जन को आंदोलित कर रहे थे।
महावीर ने इंद्रिय संयम और किसी भी तरह की हिंसा न करने का उपदेश दिया। उनका स्वयं का जीवन मानो इस संदेश का साकार रूप था।
भगवान महावीर के संदेश ‘अहिंसा’ को ही केंद्र में रखकर ऐसे परिवर्तन हुए, जिनकी हिंसक साधनों द्वारा पूर्ण होने की संभावना नहीं थी। महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के जीवन का केंद्र बिंदु यही ‘अहिंसा’ था।